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घर बैठे कमाएं लाखों रुपये म्युचुअल फंड से ! जानिए आसान तरीका(Beginners guide)

परिचय

जब भी हम अपने वित्त का प्रबंधन करते हैं, हम अक्सर यह सोचते हैं कि हमें अपनी धनराशि कहाँ रखनी चाहिए? क्या हमें इसे बचत खाते में रखना चाहिए या अपने घर पर अपने गद्दे के नीचे? इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि कैसे घर बैठे लाखों रुपए कमा सकते हैं म्यूचुअल फंड से क्योंकि यह पारंपरिक बचत खातों के विकल्प के रूप में कार्य करता है। हम निवेश के लाभों, उपलब्ध विभिन्न विकल्पों और म्यूचुअल फंड कैसे काम करते हैं पर चर्चा करेंगे।

निवेश का महत्व

हमारी संपत्ति बढ़ाने और वित्तीय स्वतंत्रता हासिल करने के लिए निवेश एक महत्वपूर्ण कदम है। अमीर लोग इस अवधारणा को अच्छी तरह से समझते हैं। वे अधिक धन के सृजन के लिए अपनी धनराशि का विभिन्न संपत्तियों में निवेश करते हैं। दूसरी ओर, गरीब लोग ऐसी चीजों पर अपना पैसा खर्च करने की संभावना रखते हैं जो केवल उन्हें अमीर दिखाती हैं, लेकिन वास्तव में उनकी संपत्ति का निर्माण नहीं करतीं।

बचत खातों की समस्याएँ

हालाँकि हमारी धनराशि को बचत खातों में रखना एक सुरक्षित विकल्प लगता है, यह सबसे अधिक लाभदायक नहीं है। बचत खातों पर ब्याज दरें अक्सर मुद्रास्फीति दर (inflation rate) से कम होती हैं और हमारी धनराशि का मूल्य समय के साथ कम हो जाता है। Inflation हमारी बचत की खरीद शक्ति को क्षरित कर देती है, जिससे दूसरे निवेश विकल्पों का अन्वेषण करना आवश्यक हो जाता है।इसलिए ये जानना और भी जरूरी है कि और किस तरह से घर बैठे हम लाखों रुपए कमाएँ।

म्यूचुअल फंड में क्यों निवेश करें?

म्यूचुअल फंड व्यक्तियों को अपनी धनराशि को विभिन्न क्षेत्रों और संपत्तियों में निवेश करने का अवसर प्रदान करता है। अन्य निवेशकों के साथ हमारी धनराशि को एक साथ जोड़कर, हम विविधता प्राप्त कर सकते हैं और पेशेवर कोष प्रबंधकों के विशेषज्ञता का लाभ उठा सकते हैं। म्यूचुअल फंड, स्टॉक, बॉन्ड, रियल एस्टेट और अन्य संपत्तियों में निवेश करते हैं, जिससे हम उनकी वृद्धि की क्षमता से लाभान्वित हो सकते हैं।

वैसे तो निवेश करने के कई तरीके हैं मगर म्यूचुअल फंड्स बहुत ही लोकप्रिय निवेश का विकल्प बन गया है। 31 दिसंबर 2022 तक, भारत में म्यूचुअल फंड में कुल परिसंपत्ति प्रबंधन लगभग ₹40 लाख करोड़ थी। यह दर्शाता है कि निवेशक म्यूचुअल फंड में भरोसा रखते हैं।आइए जानते हैं घर बैठे म्यूचुअल फंड से लाखों रुपए कैसे कमाए।

म्यूचुअल फंड में लोग अपनी बचत निवेश करके लंबे समय में अच्छा रिटर्न हासिल कर सकते हैं।

 

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म्यूचुअल फंड की कुछ मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

  1. जोखिम का विभाजन (Risk diversification )- म्यूचुअल फंड में निवेशकों की बचत का निवेश अलग-अलग कंपनियों और उद्योगों में होता है। इससे जोखिम का विभाजन होता है।
  2. पेशेवर प्रबंधन (Professional management )- म्यूचुअल फंड का प्रबंधन पेशेवर फंड मैनेजर करते हैं जो शेयर बाज़ार से अच्छी तरह वाकिफ होते हैं।
  3. कम निवेश से शुरुआत – म्यूचुअल फंड में 500-1000 रुपए से ही निवेश की शुरुआत की जा सकती है।
  4. लचीलापन (Flexibility) – म्यूचुअल फंड में निवेशक कभी भी अपनी ज़रूरत के मुताबिक पैसे निकाल सकता है।
  5. कर का लाभ (Tax Benefits) – म्यूचुअल फंड में 1 वर्ष से ज्यादा अवधि के लिए निवेश पर टैक्स छूट का लाभ मिलता है।

इसलिए, म्यूचुअल फंड एक बेहतरीन लंबी अवधि का निवेश है जिसमें तरलता(Liquidity) और जोखिम (Risk)विभाजन का फायदा मिलता है। अगर आप भी अपनी बचत का निवेश करके लंबे समय में अच्छा रिटर्न चाहते हैं तो म्यूचुअल फंड में निवेश पर विचार जरूर करें।

म्यूचुअल फंड क्या है?

म्यूचुअल फंड निवेश वाहन हैं जो कई निवेशकों से पैसा एकत्र करते हैं और इसे संपत्तियों के एक पोर्टफोलियो में निवेश करते हैं। प्रत्येक निवेशक म्यूचुअल फंड की इकाइयां खरीदता है, जो उनकी अंतर्निहित संपत्तियों में उनकी हिस्सेदारी का प्रतिनिधित्व करती हैं। इन इकाइयों का मूल्य म्यूचुअल फंड के शुद्ध संपत्ति मूल्य (एनएवी) (NAV) द्वारा निर्धारित किया जाता है, जो अंतर्निहित संपत्तियों के प्रदर्शन के आधार पर भिन्न होता है।

म्यूचुअल फंड के विभिन्न प्रकार –

म्यूचुअल फंड को उनके निवेश उद्देश्य के आधार पर कई वर्गों में विभाजित किया गया है, जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं:

  1. इक्विटी फंड (Equity Fund)– इसमें मुख्य रूप से शेयर बाजार में निवेश होता है
  2. डेट फंड (Debt Fund) – यह मुख्य रूप से बांड, डिबेंचर आदि में निवेश करता है
  3. हाइब्रिड फंड (Hybrid Fund)– इसमें इक्विटी और डेट दोनों में निवेश होता है
  4. सेक्टोरल फंड (Sectoral Fund)– जो किसी विशिष्ट क्षेत्र जैसे आईटी, बैंकिंग आदि में निवेश करते हैं

इतने सारे विकल्पों के बीच सही स्कीम का चयन करना निवेशकों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। अपने निवेश के उद्देश्य और जोखिम लेने की क्षमता के आधार पर सही स्कीम का चुनाव करना चाहिए।

सही म्यूचुअल फंड का चयन

सभी म्यूचुअल फंड समान नहीं होते। प्रत्येक फंड की अपनी निवेश रणनीति और जोखिम प्रोफ़ाइल होती है। निवेश से पहले, हमारे वित्तीय लक्ष्यों को परिभाषित करना महत्वपूर्ण है। क्या हम दीर्घकालिक वृद्धि या अल्पकालिक लाभ के लिए निवेश कर रहे हैं? क्या हमारी जोखिम सहनशीलता अधिक है? इन प्रश्नों के उत्तर देने से हमें अपने निवेश उद्देश्यों के अनुरूप म्यूचुअल फंड का चयन करने में मदद मिलेगी।

फंड मैनेजर की भूमिका

म्यूचुअल फंड में निवेश करने के प्रमुख लाभों में से एक पेशेवर फंड मैनेजरों के विशेषज्ञता तक पहुंच प्राप्त करना है। ये वित्तीय विशेषज्ञ विभिन्न निवेश विकल्पों का विश्लेषण करते हैं और निवेशकों की ओर से सूचित निर्णय लेते हैं। उनके पास कंपनी प्रबंधन तक पहुंच होती है और बाजार की कीमती जानकारियां होती हैं, जो उन्हें उचित निवेश निर्णय लेने में सक्षम बनाती हैं।

SEBI और विनियमन (Regulator) की भूमिका

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) भारत में म्यूचुअल फंड उद्योग का विनियमन करता है। SEBI सुनिश्चित करता है कि म्यूचुअल फंड पारदर्शी तरीके से संचालित हों और कड़े दिशानिर्देशों का पालन करें। यह म्यूचुअल फंड के ऑफर दस्तावेजों को मंजूरी देता है, उनके खर्चों की निगरानी करता है, और निवेशकों के हितों की रक्षा करता है।

म्यूचुअल फंड में निवेश का सही तरीका

म्यूचुअल फंड में सफलतापूर्वक निवेश के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें इस प्रकार हैं:

  1. लंबी अवधि केलिए निवेश (Long Term Investment)-

म्यूचुअल फंड के लिए कम से कम 5 साल जैसी लंबी अवधि का निवेश ideal होता है। ऐसा करने से बाज़ार के उतार-चढ़ाव का असर कम होता है।

  1. SIP के ज़रिए नियमित निवेश

नियमित अंतराल पर एक समान राशि का निवेश करने वाली SIP यानी Systematic Investment Plan सबसे अच्छा तरीका है म्यूचुअल फंड के लिए।

  1. विविधीकरण (Diversification)

अलग-अलग प्रकार और वर्ग के कई म्यूचुअल फंड में निवेश कर, पोर्टफोलियो का विविधीकरण करना चाहिए।

  1. लगातार समीक्षा

बाज़ार की स्थिति और अपने म्यूचुअल फंड के प्रदर्शन की नियमित समीक्षा करते रहना चाहिए।

  1. लक्ष्य निर्धारण (Goal Setting)-

सही लक्ष्य निर्धारण जैसे बच्चे की उच्च शिक्षा के लिए जमा करना, रिटायरमेंट के लिए प्रॉविडेंट फंड इकट्ठा करना आदि से म्यूचुअल फंड निवेश सरल हो जाता है।

 

म्यूच्यूअल फंड में निवेश करने का सही समय

म्यूच्यूअल फंड में निवेश करने का सही समय निर्भर करता है कि आपकी वित्तीय लक्ष्य, निवेश के लिए उपलब्ध धनराशि, और निवेश की अवधि क्या है। सामान्यतः, निवेश करने का सही समय  है जब आपके लक्ष्य के लिए उपलब्ध धनराशि होती है और बाजार के हालात अनुकूल होते हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि म्यूच्यूअल फंड्स लंबे समय के निवेश के लिए होते हैं, इसलिए आपको निवेश करने से पहले अपने लक्ष्य और निवेश की अवधि को ध्यान में रखना चाहिए।यदि आपके पास कुछ बचत है और आप छोटे समय के लिए निवेश करना चाहते हैं, तो आप दूसरे निवेश विकल्पों की ओर देखें।

म्यूच्यूअल फंड निवेश के लिए कुछ प्रमुख उत्पाद (Products) हैं:

  1. इक्विटी फंड:

ये फंड शेयरों में निवेश करते हैं और बाजार के उतार-चढ़ाव का प्रतिनिधित्व करते हैं।

2.डेब्ट फंड:

ये फंड निवेशकों के धनराशि को सुरक्षित और स्थिर निवेशों में निवेश करते हैं, जैसे कि बॉन्ड्स और डिबेंचर्स।

3.हाइब्रिड फंड:

ये फंड इक्विटी और डेब्ट दोनों की तरह का निवेश करते हैं, जो निवेशकों को उचित संतुलन और उचित वार्षिक आय प्रदान करते हैं।

4.थेमेटिक फंड:

ये फंड किसी विशेष क्षेत्र या थीम के अनुसार निवेश करते हैं, जैसे कि तकनीकी सेक्टर, फार्मा सेक्टर, या इंफ्रास्ट्रक्चर।

आपके लक्ष्यों, निवेश की अवधि, और रिस्क अनुकूलता के आधार पर उपयुक्त म्यूच्यूअल फंड का चयन करें। अपने वित्तीय सलाहकार से भी परामर्श लें।

 

म्यूच्यूअल फंड में निवेश के ऑफ़लाइन मोड निम्नलिखित हैं:

1.बैंक ब्रांच:

आप अपने स्थानीय बैंक के शाखा में जाकर निवेश कर सकते हैं। बैंक में निवेश के लिए एक म्यूच्यूअल फंड खाता खोलना हो सकता है।

2.निवेशक सेवा केंद्र (एमएससी):

आप निकटतम एमएससी में जाकर निवेश कर सकते हैं। वहाँ आपको निवेश के लिए आवश्यक दस्तावेज़ प्रस्तुत करने के लिए कहा जाएगा।

3.निवेश एजेंट:

आप एक निवेश एजेंट से संपर्क करके निवेश कर सकते हैं। निवेश एजेंट आपको म्यूच्यूअल फंड के बारे में सलाह देता है और आपकी आवश्यकताओं और लक्ष्यों के अनुसार उपयुक्त फंड का चयन करने में मदद कर सकता है।

4.डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (डीपी):

आप अपने निवेश बैंक के डीपी से संपर्क करके निवेश कर सकते हैं। वे आपको म्यूच्यूअल फंड निवेश के लिए आवश्यक फॉर्म और प्रक्रिया के बारे में जानकारी देंगे।

इन मोड्स के माध्यम से, आप ऑफ़लाइन तरीके से म्यूच्यूअल फंड में निवेश कर सकते हैं। यह सुनिश्चित करें कि आप निवेश से पहले संपूर्ण जानकारी हासिल करें और निवेश करने की प्रक्रिया को समझें।

 

म्यूच्यूअल फंड में निवेश करने के लिए ऑनलाइन मोड्स हैं:

1.ऑनलाइन निवेश प्लेटफ़ॉर्म:

आप विभिन्न ऑनलाइन निवेश प्लेटफ़ॉर्मों का उपयोग करके म्यूच्यूअल फंड में निवेश कर सकते हैं। ये प्लेटफ़ॉर्म आपको विभिन्न फंड के बारे में जानकारी और निवेश के लिए सुविधा प्रदान करते हैं।

2.निवेशक सेवा प्रदाता की वेबसाइट:

कई म्यूच्यूअल फंड कंपनियां अपनी वेबसाइट के माध्यम से निवेशकों को निवेश के लिए नवीनतम सुविधाएँ प्रदान करती हैं।

3.मोबाइल ऐप्लिकेशन:

अधिकांश म्यूच्यूअल फंड कंपनियां मोबाइल ऐप्स प्रदान करती हैं जिनके माध्यम से निवेशक अपने मोबाइल डिवाइस के माध्यम से निवेश कर सकते हैं।

4.डेमेट  (Demat)और ऑनलाइन बैंकिंग:

कुछ बैंक और डेमेट (Demat) खाता प्रदाताओं के जरिए भी आप म्यूच्यूअल फंड में निवेश कर सकते हैं।

इन ऑनलाइन मोड्स के माध्यम से, आप अपने अनुसार उपलब्ध सुविधाओं का उपयोग करके म्यूच्यूअल फंड में आसानी से निवेश कर सकते हैं।

म्यूच्यूअल फंड में संचयन (accumulation) एक महत्वपूर्ण और प्रभावी तकनीक है जिसका उपयोग धन का निवेश करने के लिए किया जाता है। संचयन एक तरह की गणना है जिसमें निवेशित धन के लाभ को बढ़ाने के लिए प्राप्त आय को पुनः निवेश किया जाता है(Principle+Interest)

म्यूच्यूअल फंड में संचयन के फायदे

म्यूच्यूअल फंड में संचयन के फायदे इस प्रकार हैं कि जब आप लंबे समय तक निवेश में रहते हैं, तो प्राप्त आय का पुनः निवेश किया जाता है, और इससे आपका निवेश का मूल्य तेजी से बढ़ता है। इस प्रकार, आपके निवेश के लाभ और मुनाफे की आधारशिक्षा पर, निवेश की अधिकतम राशि कम समय में बढ़ जाती है।

संचयन का मतलब है कि आप निवेशित धन के आय को पुनः निवेश करते हैं (Principle+Interest), जिससे आपके निवेश का आकार तेजी से बढ़ता है और अधिक लाभ प्राप्त होता है।

म्यूच्यूअल फंड कई अन्य निवेश विधियों के मुकाबले बेहतर हो सकता है। यहाँ कुछ कारण हैं जो इसे अन्य निवेश विकल्पों से बेहतर बनाते हैं:

 

पॉइंट्स

म्यूच्यूअल फंड

अन्य निवेश विधियाँ

 प्रबंधित पोर्टफोलियो | फंड मैनेजर द्वारा पोर्टफोलियो का प्रबंधन किया जाता है, जिससे निवेशकों को विभिन्न प्रकार के निवेश का लाभ मिलता है। इस विशिष्ट विकल्प में प्रबंधन अधिक सक्षम नहीं होता है, जिसके कारण निवेशकों को अधिक जोखिम होता है। |
वित्तीय संवेदनशीलता विभिन्न निवेश विकल्पों की तुलना में न्यूनतम निवेश राशि से शुरू किया जा सकता है। कुछ अन्य निवेश विकल्प अधिक निवेश राशि की आवश्यकता होती है, जैसे कि निवेश लेन-देन या अचल संपत्ति।
लिक्विडिटी निवेशक अपने निवेश को आसानी से निकाल सकते हैं, क्योंकि म्यूच्यूअल फंड दिन-प्रतिदिन निवेशकों को निकासी का मौका प्रदान करते हैं। | कुछ अन्य निवेश विकल्पों में निकासी की प्रक्रिया अधिक समय लेती है, जैसे कि अचल संपत्तियों की बिक्री। |
विस्तृत विकल्प म्यूच्यूअल फंड निवेशकों को विभिन्न निवेश विकल्पों में निवेश करने की सुविधा प्रदान करते हैं, जैसे कि इक्विटी, डेब्ट, हाइब्रिड, और अन्य।  कुछ अन्य निवेश विकल्प निवेशकों को इतने विस्तृत विकल्प नहीं प्रदान करते हैं, जिससे वे अपने निवेश का प्रबंधन करने में अधिक सीमित होते हैं।

 

यह तालिका म्यूच्यूअल फंड के लाभों की तुलना में अन्य निवेश विकल्पों के साथ करता है। ध्यान दें कि हर निवेश विकल्प की अपनी गुणधर्मिता होती है और निवेशकों को अपनी वित्तीय लक्ष्यों और रिस्क अनुकूलता के आधार पर सही निवेश विकल्प का चयन करना चाहिए।

 

म्यूच्यूअल फंड में कर के विषय में निम्नलिखित प्रकार होते हैं:

 

1.निवेश करने पर लागू होने वाला टैक्स (एलटीसीजी)(Long Term Capital Gain):

म्यूच्यूअल फंड में निवेश करने पर एलटीसीजी लागू होता है, जो निवेशकों की आय के अनुसार विभिन्न दरों पर लागू होता है।

2.निवेश करने के दौरान उत्पन्न होने वाला कर (सीएसटी) (Central Sales Tax):

अगर आप म्यूच्यूअल फंड को खरीदने या बेचने के दौरान लाभ या हानि प्राप्त करते हैं, तो उस पर सीएसटी लागू होता है।

 

3.निवेश के दौरान उत्पन्न होने वाला अंगीकृत डिविडेंड:

म्यूच्यूअल फंड से प्राप्त डिविडेंड पर आपको कर देने की आवश्यकता नहीं होती है। यह डिविडेंड अथवा बोनस निवेशक के पास सीएसटी के रूप में आता है।

4.निवेश को निकालने पर लागू होने वाला कर( एग्जिट लोड)(Exit Load):

जब आप म्यूच्यूअल फंड से निवेश को समय से पहले निकालते हैं, तो उस पर एग्जिट लोड लागू होता है। यह कर निवेशक की निवेश से प्राप्त की गई आय पर लागू होता है।

ये थे म्यूच्यूअल फंड में कर के प्रमुख प्रकार। निवेशकों को अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह लेनी चाहिए ताकि वे अपनी निवेश योजना को बेहतर तरीके से समझ सकें।

 

उदाहरण के माध्यम से म्यूच्यूअल फंड की गणना:

चलिए, हम एक सरल उदाहरण के माध्यम से म्यूच्यूअल फंड की गणना को समझने का प्रयास करें।

**मामला:**

रामेश ने एक म्यूच्यूअल फंड में निवेश किया। उन्होंने ₹10,000 का निवेश किया और संचयन दर 12% प्रति वर्ष है। वे 5 वर्षों तक निवेश करने की योजना बना रहे हैं।

**गणना:**

  1. साल 1: निवेश की राशि = ₹10,000

साल का अंतिम राशि = निवेश की राशि + (निवेश की राशि × संचयन दर)

= ₹10,000 + (₹10,000 × 0.12)

= ₹10,000 + ₹1,200

= ₹11,200

 

  1. साल 2: निवेश की राशि = ₹11,200

साल का अंतिम राशि = निवेश की राशि + (निवेश की राशि × संचयन दर)

= ₹11,200 + (₹11,200 × 0.12)

= ₹11,200 + ₹1,344

= ₹12,544

 

  1. साल 3: निवेश की राशि = ₹12,544

साल का अंतिम राशि = निवेश की राशि + (निवेश की राशि × संचयन दर)

= ₹12,544 + (₹12,544 × 0.12)

= ₹12,544 + ₹1,505.28

= ₹14,049.28

इसी प्रकार, साल 4 और साल 5 की गणना करके आप निवेश के प्रत्येक साल का अंतिम राशि प्राप्त कर सकते हैं।

इस उदाहरण में, हमने संचयन दर के साथ प्रायोगिक मामला द्वारा म्यूच्यूअल फंड की गणना को समझाया है। इसके लिए निवेशकों को अपनी निवेश योजना के अनुसार अपनी निवेश गणना करने की सलाह दी जाती है।

 

चलिए, हम एक उदाहरण के माध्यम से लम्बसम निवेश और SIP (Systematic Investment Plan) निवेश के परिणामों को समझते हैं।

**मामला:**

राज एक निवेशक है जो एक म्यूच्यूअल फंड में निवेश करना चाहते हैं। उनके पास ₹50,000 हैं, जिसे वे एक बार में निवेश करने के लिए उपलब्ध करा सकते हैं, या फिर वे हर महीने ₹5,000 का निवेश करके SIP में निवेश कर सकते हैं।

**लम्बसम निवेश:**

राज ने ₹3,00,000 को एक बार में निवेश कर दिया। उन्होंने निवेश किया और अगले 5 वर्षों में निवेश को छोड़ दिया।

**SIP निवेश:**

राज ने ₹5,000 का हर महीने निवेश किया। उन्होंने निवेश किया और अगले 5 वर्षों में हर महीने ₹5,000 का निवेश जारी रखा।

**परिणाम:**

पांच वर्षों के बाद, राज ने अपने निवेश की वित्तीय स्थिति का मूल्यांकन किया।

 

लम्बसम निवेश में, निवेश का मूल्य = ₹3,00,000 × (1 + वार्षिक ब्याज दर)^5

 

SIP निवेश में, निवेश का मूल्य = ₹5,000 × [(1 + वार्षिक ब्याज दर)^60 – 1] ÷ वार्षिक ब्याज दर

 

यहाँ, वार्षिक ब्याज दर एक ही है, इसलिए हम इसे लम्बसम निवेश और SIP निवेश के लिए उपयोग कर सकते हैं।

 

इस प्रक्रिया के माध्यम से, हम दोनों प्रकार के निवेश के अंतिम मूल्य का तुलनात्मक विश्लेषण करके यह देख सकते हैं कि lumpsum निवेश और SIP निवेश में से कौन अधिक लाभकारी है।

 

चलिए, हम आपके लिए lumpsum निवेश और SIP निवेश के अंतिम मूल्य का तुलनात्मक विश्लेषण करते हैं। यहाँ, हम मानते हैं कि वार्षिक ब्याज दर 10% है।

 

Lumpsum निवेश में:

निवेश का मूल्य = ₹3,00,000 × (1 + 0.10)^5

= ₹3,00,000 × (1.10)^5

= ₹3,00,000 × 1.61051

= ₹4,83,153

 

SIP निवेश में:

निवेश का मूल्य = ₹5,000 × [(1 + 0.10)^60 – 1] ÷ 0.10

= ₹5,000 × [(1.10)^60 – 1] ÷ 0.10

= ₹5,000 × (10.2859 – 1) ÷ 0.10

= ₹5,000 × 9.2859 ÷ 0.10

= ₹390412/-

 

SIP और LUMPSUM निवेश की तुलना में निम्न बिंदुओं पर विचार कर सकते हैं:

1. SIP में ₹5,000 का निवेश करने पर 5 साल में ₹3,90,412 का फंड बनता है।

2. ₹3,00,000 के Lumpsum investment पर 5 साल में ₹4,83,153 का फंड बनता है।

निष्कर्ष:

SIP से निवेश पर मिलने वाला रिटर्न 3,90,524 रुपये हो रहा है जबकि Lumpsum निवेश पर 4,83,153 रुपये। इसलिए Lumpsum निवेश इस मामले में SIP से बेहतर है। हालांकि SIP में निवेश का खतरा कम होता है, उसकी कीमतें कम होती हैं और दीर्घकालिक लाभ अधिक होता है। परंतु इस तुलना में Lumpsum निवेश SIP से ₹92,629 रुपये ज़्यादा का रिटर्न दे रहा है।

आंकड़े अलग अलग हो सकते हैं लेकिन म्यूचुअल फंड में निवेश अपनी वित्तीय स्वतंत्रता के अनुसार बचत को परिचालित करने का एक तरीका है।

निवेश के लिए हम लचीले दृष्टिकोण से शुरू कर सकते हैं और म्यूचुअल फंड में रिटर्न का लाभ व्यवस्थित तरीके से प्राप्त कर सकते हैं। हर व्यक्ति अपनी बचत के आधार पर निवेश शुरू कर सकता है जैसे कि 100/500 रुपए जैसी न्यूनतम बचत से शुरू कर सकता है। यह हमें बचत और वित्तीय साक्षरता सीखने का अवसर देता है।

SIP निवेश और lumpsum निवेश, दोनों ही वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण निवेश विधियाँ हैं। हालांकि, दोनों के अपने लाभ और नुकसान होते हैं।

 

SIP निवेश के लाभ:

1.नियमित निवेश:

SIP में निवेशक नियमित रूप से निवेश करते रहते हैं, जो निवेश की रूपरेखा को स्थिर और वित्तीय सावधानी को बनाए रखता है।

2.कम शुरुआती निवेश:

SIP में निवेश करने के लिए कम राशि की आवश्यकता होती है, जिससे वित्तीय बोझ कम होता है।

3.औसत की गणना:

SIP में निवेशक को औसत लाभ की गणना में फायदा होता है, जिससे मार्गदर्शन करने में मदद मिलती है।

लम्बसम (Lumpsum) निवेश के लाभ:

1.अधिक निवेश:

लम्बसम निवेश में निवेशक एक बार में अधिक राशि निवेश कर सकते हैं, जिससे निवेश की राशि अधिक होती है।

2.लंबे समय का लाभ:

लम्बसम निवेश करने से निवेशक लंबे समय तक कंपाउंडिंग का लाभ उठा सकते हैं, जो अधिक लाभ प्रदान करता है।

सारांश:

यह निर्णय निवेशक के वित्तीय लक्ष्यों, निवेश राशि, और निवेश अवधि के आधार पर निर्भर करता है। अगर निवेशक के पास अधिक धन है और उन्हें दैनिक वित्तीय लिखिति के साथ सावधानी बरतनी होती है, तो लम्बसम(Lumpsum) निवेश उनके लिए अधिक लाभकारी हो सकता है। वहीं, अगर निवेशक का वित्तीय स्थिति संघर्षमय है और उन्हें नियमित निवेश करने के लिए धन की कमी है, तो SIP एक बेहतर विकल्प हो सकता है।

म्यूचुअल फंड में निवेश हमें अपनी संपत्ति बढ़ाने, मुद्रास्फीति से लड़ने और अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है। यह हमें विविधीकरण, पेशेवर विशेषज्ञता और सुविधाजनक निवेश विकल्प प्रदान करता है। हालांकि निवेश हमेशा जोखिम शामिल करता है, म्यूचुअल फंड धन सृजन के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण प्रदान करता है। म्यूचुअल फंड में निवेश करके, हम अन्य निवेशकों के साथ शक्ति जोड़ते हैं और फंड मैनेजरों के सामूहिक ज्ञान का लाभ उठाते हैं।

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FAQ:

म्युचुअल फंड और इक्विटी स्टॉक्स में से कौन सा बेहतर निवेश है, इस पर बहुत बहस होती है। दोनों के अपने फायदे और नुकसान हैं।

म्युचुअल फंड के फायदे:

  1. जोखिम का विविधीकरण - एक म्युचुअल फंड में कई कंपनियों और क्षेत्रों के शेयर होते हैं। इससे जोखिम कम होता है।
  2. विशेषज्ञ प्रबंधन - फंड मैनेजर के पास शेयर बाज़ार का ज्ञान और अनुभव होता है जो व्यक्तिगत निवेशकों के पास नहीं होता।
  3. निवेश की आसानी - म्युचुअल फंड में निवेश करना आसान है। न्यूनतम SIP शुरू कर निवेश किया जा सकता है।

इक्विटी स्टॉक्स के फायदे:

  1. उच्च रिटर्न - दीर्घकाल में इक्विटी शेयर अधिक रिटर्न देते हैं।
  2. कर का लाभ - इक्विटी शेयरों पर लंबी अवधि के लिए तथा शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन के लिए कम कर लगता है।
  3. कम खर्च - सीधे शेयर खरीदने पर ब्रोकरेज शुल्क के अलावा कोई अन्य खर्च नहीं लगता।

मूलतः, जोखिम उठाने की क्षमता और निवेश का समयावधि पर निर्भर करता है कि कौन सा विकल्प बेहतर है। छोटी अवधि के लिए म्युचुअल फंड बेहतर माना जाता है और दीर्घकाल के लिए इक्विटी शेयर ज्यादा फायदेमंद हो सकते हैं।

म्युचुअल फंड में NAV का अर्थ है नेट ऐसेट वैल्यू (Net Asset Value)।

NAV म्युचुअल फंड की प्रति यूनिट कीमत को दर्शाता है। यह म्युचुअल फंड के लिए बहुत महत्वपूर्ण मापदंड है।

NAV की गणना इस प्रकार की जाती है:

कुल म्युचुअल फंड एसेट्स (जैसे - इक्विटी, बॉन्ड, कैश आदि) का मूल्य ÷ बकाया यूनिट्स की कुल संख्या

उदाहरण के लिए, अगर किसी म्युचुअल फंड की कुल एसेट्स 100 करोड़ रुपये है, और बकाया यूनिट्स 10 करोड़ हैं, तो NAV होगा ₹10 (100 करोड़/10 करोड़)।

NAV प्रतिदिन अद्यतन किया जाता है और यह म्युचुअल फंड में निवेश करने या बेचने का मूल्य दर्शाता है।

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