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"पराक्रम दिवस पर यह चित्र नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अत्यंत प्रेरणादायक और शौर्यपूर्ण दृष्टि को समर्पित है। इस महान स्वतंत्रता सेनानी की मुस्कान में छिपी उनकी निर्मल मुद्रा और आत्मविश्वास से भरी आंखें हमें उनके अद्भुत साहस और निष्ठा का संदेश देती हैं। यह छवि हमें उनके अद्भुत योजनाओं और उनके देश के प्रति समर्पण की गर्वभाषी अनुभूति प्रदान करती है। इस ऐतिहासिक दिन पर, हम सभी उनके अदम्य साहस और उत्कृष्टता को समर्पित करते हैं जो हमें स्वतंत्रता की ओर मुख करने के लिए प्रेरित करते हैं।"
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“नेताजी का सम्मान: मोदी सरकार का फैसला, सुभाष चंद्र बोस की जयंती ‘पराक्रम दिवस’ बना दिया”

"पराक्रम दिवस पर यह चित्र नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अत्यंत प्रेरणादायक और शौर्यपूर्ण दृष्टि को समर्पित है। इस महान स्वतंत्रता सेनानी की मुस्कान में छिपी उनकी निर्मल मुद्रा और आत्मविश्वास से भरी आंखें हमें उनके अद्भुत साहस और निष्ठा का संदेश देती हैं। यह छवि हमें उनके अद्भुत योजनाओं और उनके देश के प्रति समर्पण की गर्वभाषी अनुभूति प्रदान करती है। इस ऐतिहासिक दिन पर, हम सभी उनके अदम्य साहस और उत्कृष्टता को समर्पित करते हैं जो हमें स्वतंत्रता की ओर मुख करने के लिए प्रेरित करते हैं।"

 

आज हम सभी देशवासी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मना रहे हैं, जिसका एलान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में किया था। इस महत्वपूर्ण दिन पर, हम उनके उदार योगदान को स्मरण करते हैं और उनके पराक्रम की महत्वपूर्ण भूमिका पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

नेताजी का जीवन: सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था। उनके प्रेरणादायक जीवन में उनके पिता जानकीनाथ बोस और माता प्रभावती देवी का महत्वपूर्ण योगदान रहा। नेताजी ने इंग्लैंड में सिविल सर्विस परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया, लेकिन उन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए पद त्याग कर आंदोलन में भाग लेने का निर्णय किया।

 

पराक्रम दिवस का आरंभ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेताजी के पराक्रम को समर्थन और सम्मान के लिए 23 जनवरी को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला किया। इस से पहले, यह दिन सुभाष चंद्र बोस जयंती के नाम से मनाया जाता था।

नेताजी का योगदान: नेताजी ने आजाद हिंद फौज की स्थापना की और आंदोलन में युवाओं को जोड़ा। उनके प्रेरणादायक नारों ने जनता में जोश उत्तेजित किया, जैसे ‘जय हिंद’, ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा’, ‘चलो दिल्ली’

समापन: नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाना हम सभी के लिए गर्व का क्षण है। इस अद्भुत दिन के माध्यम से हमें नेताजी के शौर्य, साहस, और देशभक्ति की भावना को समर्पित रहना चाहिए। इस अवसर पर हम सभी एक संकल्प लेते हैं कि हम भी अपने देश के लिए सक्रिय रूप से योगदान देंगे और नेताजी के सपने को साकार करेंगे।

जय हिंद!

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