नवदुर्गा - देवी दुर्गा के नौ दिव्य रूप

नवदुर्गा की पहली देवी है शैलपुत्री, पर्वत की बेटी। चंद्रमा से सुसज्जित और त्रिशूल धारण करने वाली, वह स्थिरता, संतुलन और अटूट समर्पण की शक्ति का प्रतीक है।

नवदुर्गा का अगला स्वरूप है ब्रह्मचारिणी, तपस्या और आध्यात्मिक अनुशासन का प्रतीक। माला और जल पात्र के साथ, वह आत्म-खोज के मार्ग का प्रतीक है।

तीसरा स्वरूप है चंद्रघंटा, जिसके माथे पर एक घंटा-आकार का चंद्रमा है। वह पवित्र सौंदर्य, कल्याण और निर्दोष की रक्षा की देवी है।

कुष्मांडा, नवदुर्गा की चौथी देवी, ब्रह्मांड की सृजनकर्ता है। वह जीवन की स्पिंदन जगाने और अपनी असीम ऊर्जा से दुनिया को पोषित करने की शक्ति रखती है।

स्कंद माता, पांचवीं देवी, दिव्य योद्धा कार्तिकेय की माता हैं। वे दिव्य स्त्री की शक्ति, साहस और संरक्षण स्वभाव का प्रतीक हैं।

कात्यायनी, छठवीं देवी, वह प्रखर और अडिग योद्धा है जो बुराई को नष्ट करके कोस्मिक संतुलन को पुनःस्थापित करती है।

कालरात्रि, नवदुर्गा की सातवीं देवी, अंधकार और अज्ञानता को नष्ट करती है।

महागौरी, आठवीं देवी, शुद्धता, शांति और प्रकाश का प्रतीक है। वह अशुद्ध को शुद्ध में परिवर्तित करती है।

नवदुर्गा की अंतिम और सर्वाधिक शक्तिशाली देवी सिद्धिदात्री है, जो सभी सिद्धियों (आध्यात्मिक शक्तियों) को प्रदान करती है।